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महर्षि वाल्मीकि के 10 अनमोल विचार जो सदियों से इंसान को सही राह दिखा रहे हैं

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Maharishi Valmiki motivational Thought:    सनातन परंपरा में आश्विन मास की पूर्णिमा जिसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं उसका बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इसी दिन आदि कवि महर्षि की जयंती मनाई जाती है. आज 07 अक्टूबर 2025 को यह पावन जयंती पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है. महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का प्रथम कवि माना गया है. जिनके द्वारा भगवान राम की लिखी गई जीवनगाथा रामायण सदियों से पढ़ी और सुनी जा रही है.

1. महर्षि वाल्मीकि न सिर्फ एक रचनाकार बल्कि धर्म जगत से जुड़े एक ऐसे सकारात्मक परिवर्तन के प्रतीक थे, जिनकी बातें आज भी लोगों को सही राह दिखाने का काम कर रही हैं. आइए रत्नाकर नाम के डाकू से महर्षि तक का सफर करने वाले महर्षि वाल्मीकि की 10 बड़ी सीख के बारे में जानते हैं.

2. सदैव सुख ही सुख का होना दुर्लभ है. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख का होना बेहद मुश्किल है क्योंकि सुख और दुख धूप और छांव की तरह होते हैं जो आते-जाते रहते हैं.

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3. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार राजा को अपना आचरण हमेशा सही रखना चाहिए क्योंकि जिस तरह का उसका आचरण होता है, प्रजा भी उसी का अनुसरण करती है.

4. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार जीवन में सहयोग और समन्वय का बहुत ज्यादा महत्व होता है. ऐसा करने वाले व्यक्ति की सदैव जीत होती है.

5. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार जीवन में किसी के प्रति घृणा का भाव नहीं रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर आप स्वयं भी भीतर से मैले हो जाते हैं.

6. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार व्यक्ति को किसी भी आपदा और दुख के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह हमेशा बगैर बताए और बिना बुलाए आते हैं.

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7. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार गलत व्यक्ति यदि विनम्रता से बात करें तो सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि अंकुश, धनुष, सांप और बिल्ली झुक कर वार करते हैं.

8. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार यदि आपको महान बनना है तो आपको हमेशा अपने चरित्र को अच्छा बनाए रखना होगा.

9. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार मित्र बनाना आसान है लेकिन मित्रता को कायम रखना मुश्किल है क्योंकि चित्त की अस्थिरता और मत में भेद होने के कारण अक्सर मित्रता टूट जाती है.

10. महर्षि वाल्मीकि के अनुसार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार होता है जो स्वर्ण से बने हार को भी मिट्टी के समान कर देता है. अर्थात् अहंकार होने पर व्यक्ति के सभी गुण असरहीन हो जाते हैं.

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