Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने पति को पत्नी-बेटी के लिए 1.5 लाख मासिक देने का आदेश दिया.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि पत्नी की अच्छी-खासी आय भी उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं कर सकती. यदि पत्नी की कमाई वैवाहिक जीवन में मिले जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है, तो पति को अतिरिक्त आर्थिक जिम्मेदारी उठानी होगी.
यह फैसला जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस रेनू भटनागर की बेंच ने सुनाया. कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 24 का मकसद केवल पत्नी को भूखों मरने से बचाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि अलगाव के बाद भी दोनों जीवनसाथी लगभग समान जीवन स्तर का अनुभव करें.
इस मामले से जुड़ा पूरा विवाद
दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक, दंपति का विवाह 22 नवंबर 2013 को हुआ था और अगस्त 2016 में उनकी एक बेटी का जन्म हुआ. अक्टूबर 2019 से दोनों अलग रह रहे हैं. बच्ची की कस्टडी मां के पास है. पत्नी दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और करीब 1.25 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन पाती हैं.
वहीं, पति एडोबी सिस्टम्स में सीनियर कंप्यूटर साइंटिस्ट हैं, जिनकी सालाना आय 1 करोड़ रुपये से भी अधिक है. अदालत ने माना कि इतने बड़े आर्थिक अंतर में पत्नी और बच्ची को समान जीवन स्तर देना जरूरी है.
फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पत्नी की हाईकोर्ट में चुनौती
वहीं, इस मामले में फैमिली कोर्ट ने पति को केवल बच्ची के लिए 35 हजार रुपये मासिक और स्कूल से जुड़े खर्चे देने का आदेश दिया था, जबकि पत्नी के लिए भरण-पोषण से इनकार किया था. पत्नी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी.
पति की ओर से दलील दी गई कि पत्नी अत्यधिक योग्य और आत्मनिर्भर है, इसलिए उसे भरण-पोषण की जरूरत नहीं है. वहीं, पत्नी की ओर से कहा गया कि बच्ची की परवरिश, शिक्षा, सह-पाठयक्रम गतिविधियों और जीवनशैली के खर्चे को नजरअंदाज किया गया.
हाईकोर्ट ने पत्नी और बच्ची के लिए भरण-पोषण राशि बढ़ाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि पत्नी के सिर्फ एजुकेटेड और कमाऊ होने से उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं रखा जा सकता. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि धारा 24 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी जीवनसाथी को वैवाहिक संबंध टूटने के कारण आर्थिक कठिनाई या सामाजिक नुकसान न उठाना पड़े.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की करोड़ों की आमदनी, ऊंचे सामाजिक स्तर, शेयर और स्टॉक विकल्प जैसी सुविधाओं, और दूसरी ओर पत्नी की तुलनात्मक रूप से कम इनकम को देखते हुए भरण-पोषण की राशि 35 हजार रुपए से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दी. यह राशि पत्नी और बच्ची दोनों के लिए संयुक्त रूप से होगी.