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विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर लंबे समय तक आदमी और औरत साथ-साथ (सहजीवन) रह रहे हों तो इसे शादी की अवधारणा मानी जाएगी। यानी सालों साल अगर कपल पति-पत्नी की तरह रह रहा हो तो यह माना जाएगा कि दोनों शादीशुदा हैं। ऐसे मामले में शादीशुदा जिंदगी को नकारने वाले पर दायित्व होगा कि वह साबित करे कि शादी नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह भी कहा कि कपल अगर लंबे समय तक साथ रहते हैं तो उनकी संतान भी उनकी पैतृक संपत्ति में हिस्से की हकदार है। जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अगुआई वाली बेंच के सामने यह मामला आया था कि क्या
लिवइन कपल के मामले में यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि वह पति-पत्नी हैं? यह भी सवाल था कि क्या लंबे समय साथ रहने वाले कपल की गैर कानूनी औलाद संपत्ति की हकदार होगी? सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वैसे कपल की संतान जो बिना शादी के लंबे समय से सहजीवन में रह रहे हैं, ऐसे रिश्ते से जन्मे बच्चे का भी फैमिली की संपत्ति में हक होगा।